शनिवार, 5 सितंबर 2009

मृत्यु


मृत्यु तुम आना
जैसे आती है पवन गुलाब के बग़ीचे में
दबे पांव ओस की चमकती आंखों से बचते-बचाते
सहलाना कुछ देर स्नेह से सभी को
दुलारना उन्हें भी जिनकी अभी तक मुरझाई नहीं है एक भी पंखुड़ी
तुम्हारा स्पर्श खोलता है जीवन के नित नए अर्थ

मृत्यु तुम आना
जैसे आते हैं स्वप्न भोर की छाया में
तिलिस्म में क़ैद राजकुमारी को
छुड़ाने के लिए प्रकट होता है सपनों का राजकुमार
या फ़ुटपाथ पर सिकुड़े भिखारी की ठिठुरती
काया को मिलती है अलाव की गरमी
सुख से कर देना सराबोर उन्हें भी
जिन्हें जीने के लिए मरना पड़ा हो पल प्रतिपल


अमीर हों या गऱीब
सभी को रहती है प्रतीक्षा अच्छे स्वप्न की

मृत्यु तुम आना
जैसे वर्षा के बाद आता है आसमान में इन्द्रधनुष
तृप्त हो जाती है सारी सृष्टि
खेतों में लहलहातीं हैं गेहूं और धान की बालियां
ढोल और मंजीरों की थाप पर नाचते हैं गणदेवता
गदराई हुई नदियां
उत्ताप में उफनती भागती हैं सागर की ओर

मृत्यु तुम आना
किसी यक्ष की तरह गुनगुनाते हुए
अपनी यक्षिणी की तलाश में
या जैसे ऋचाओं को गुंजरित करता कोई दिव्य बटुक
भिक्षा के लिए खटखटाए किसी भाग्यवान का द्वार


तुम आना ऐसे मोहक रूप में
कि तुम्हें देख कर चकित हो जाएं अबोध बच्चे
दायित्व का अनुभव करें अल्हड़ जवान
सत्य का अहसास हो लौकिक जीवन में और
अग्नि या भूमि को समर्पित हो कोई शरीर
सफल यात्रा के बाद

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